रविवार, 28 जनवरी 2007

माध्यम - Medium




चार आँखें, एक चाहत
एक ख्वाब, एक हक़ीक़त
चाही उन्होने, माँगी उन्होने
देखा तूने, सुना तूने
दिया तूने, पाया उन्होने
और माध्यम .......... मैं

दो छोटे हाथ, एक छोटी दुनिया
छोटी दुनिया में छोटा सा सपना
'उंगलियाँ छोटे हाथो की थामें
उंगलियाँ और भी छोटे हाथों की'
दुआ थी, हुआ भी
चाहा उसने, माँगा उसने
देखा तूने, सुना तूने
दिया तूने, पाया उसने
और माध्यम ............. मैं

जब बड़ी हो रही थी उंगलियाँ
उन सबसे छोटे हाथो की
साथ बढ़ रही थी लकीरें
उन हथेलियों की
लकीरें समेत कर
एक दिन मुट्ठी बना कर
मली जब आखें उसने
तो देखा सामने दुनिया थी

हँसते चेहरे, बनते चेहरे
टूटते चेहरे,आलमस्त चेहरे
कुछ की उम्मीद, कुछ की हँसी
कुछ की आस, कुछ का साथ
चाहा उन्होने, माँगा उन्होने
देखा तूने, सुना तूने
दिया तूने, पाया उन्होने
और माध्यम ......... मैं

लकीरें अब भी बढ़ रही थी
ख़ुद का रास्ता ढूँढ रही थी
एक mrigtrishna, एक झंझावत
एक तूफ़ान , एक शांत झील
एक नया रूप लेता खंडहर
सब मिले रास्ते में.. मुझे

मैं .... तेरा हिस्सा
जानती हुईं एक दिन
मिल जाएगा ये हिस्सा तुझमें
और माध्यम मैं
विलीन हो जाओंगी तुझमें

1 टिप्पणी:

Dutta Sujeet ने कहा…

Dis one is gud. Meaning full and well drafted.