मंगलवार, 30 जनवरी 2007

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क़यामत -
शाम-ए-ग़म
जाम-ओ-मीना
दर्द -ए-दिल
इंतिहा उस पर
वस्ल मुश्किल
*~*~*
सादगी अहसास की -
तस्वीर ने उनको देखा
हया से रंग बदल गये
*~*~*
रंगो की दुनिया -
रंग ख़ामोशी के!!
किसी दुल्हन को देखा था..
*~*~*
असर -
सोहबत में हम तो क्या
मौसम बदल जाते हैं
*~*~*
मुट्ठी भर आसमान और चुटकी भर ज़मीन
कुछ हवायें, चंद बूँदे
और ज़रा सी आग..
ये सब है मेरी कमाई
जो मैने इस ज़िंदगी से पाई
*~*~*

1 टिप्पणी:

Dutta Sujeet ने कहा…

Mujhe ek baata batao?
Tum hindi ki kavyitri ho ya urdu ki shayara?
Achanak hindi ke beech urdu mishrit kar diya hai. Achi hai par confusing hai