रविवार, 11 फ़रवरी 2007

Agnipath - Dr Harivansh rai bachchan

अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ
वृक्ष भले हों खड़े
हो घने हो बड़े
एक पत्र छह भी
माँग मत, माँग मत, माँग मत
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ

तू ना थक़ेगा कभी
तू ना थमेगा कभी
तू ना mudega कभी
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ

ये महान दृश्य है
चल रहा मनुष्य है
अशरु स्वेद रक्त से
लथपथ, लथपथ, लथपथ
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ

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