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रविवार, 28 जनवरी 2007
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ख़ुद को पाने की तलाश जहाँ से शुरू राहें खुलती रही , मोड़ मिलते रहे. =*=*=*=*=
अहसास - दिए भी.. लिए भी ना खुदा को पता ना उसकी खुदाई को और दिलों का सौदा हो गया =*=*=*=*= ज़िंदगी दो पल. दो पल, तूने मांगे इंतज़ार में =*=*=*=*= बा-खुदा ख़ैर मनाई जिसकी उसी के क़त्ल का इल्ज़ाम लगा... =*=*=*=*=
1 टिप्पणी:
Yeh Snapshorts wale ache lage mujhe. Samajhne mei jiyada mehnat mushhakkat nahi karni padi. Chand shabd aur goodh matlab
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